- इस देश में चारण भाट की संस्कृति (Minstrel Culture) की प्रथा काफी पुराणी और प्रभावकारी है इस प्रथा ने हर समय देश को पतन के गर्त में ही धकेला है ... जब विदेशी हमलावर युद्ध के मैदानों में प्रशिक्षित स्वर और नवीनतम हथियार लेकर आते थे हमारे राजा अपने चारणों और भाटों की विरुदावली सुनते हुए पहुंचते थे ... परिणाम हर बार एक ही होता था ... 'पराजय' ... |
धीरे धीरे हमारी जनता भी इसकी अभ्यस्त हो गयी और सबके ...अपने अपने मसीहा बन गए जिनकी विरुदावली गाकर सुनकर ही जनता चमत्कृत होती रही | आज तक हम भारतीय इस मानसिकता से बाहर नहीं आ सके और अभी भी किसी न किसी खानदान या नेता और उसके वंशजों के चारण भाट बने रहते हैं | हमारे प्रिय वंश या नेता के घर का कुत्ता भी हमारे लिए देवतुल्य है |
इस देश की प्राचीन चारण भाट संस्कृति इस देश को अभी और डुबाती रहेगी |
Thursday 9 May 2013
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अपना नाम और एड्रेस भैजना नयी संस्कृति के नामी, पाश्चात्य के प्रेमी।
ReplyDeleteमूझे लगता हैं इतिहास का क ख ग घ नहींपढा हैं मेरी सलाह हैं पढ लों बहूत कुछ फायदा होंगा।
नहीं तो आजकल के ज्ञानी बाबा और आप महाशय में कोई फर्क नहीं।
रणजीत सिंह रणदेव चारण
अपना नाम और एड्रेस भैजना नयी संस्कृति के नामी, पाश्चात्य के प्रेमी।
ReplyDeleteमूझे लगता हैं इतिहास का क ख ग घ नहींपढा हैं मेरी सलाह हैं पढ लों बहूत कुछ फायदा होंगा।
नहीं तो आजकल के ज्ञानी बाबा और आप महाशय में कोई फर्क नहीं।
रणजीत सिंह रणदेव चारण