Thursday 9 May 2013


2 comments:

  1. अपना नाम और एड्रेस भैजना नयी संस्कृति के नामी, पाश्चात्य के प्रेमी।
    मूझे लगता हैं इतिहास का क ख ग घ नहींपढा हैं मेरी सलाह हैं पढ लों बहूत कुछ फायदा होंगा।
    नहीं तो आजकल के ज्ञानी बाबा और आप महाशय में कोई फर्क नहीं।

    रणजीत सिंह रणदेव चारण

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  2. अपना नाम और एड्रेस भैजना नयी संस्कृति के नामी, पाश्चात्य के प्रेमी।
    मूझे लगता हैं इतिहास का क ख ग घ नहींपढा हैं मेरी सलाह हैं पढ लों बहूत कुछ फायदा होंगा।
    नहीं तो आजकल के ज्ञानी बाबा और आप महाशय में कोई फर्क नहीं।

    रणजीत सिंह रणदेव चारण

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