अकेलेपन का एक
अलग ही महत्व है | अकेलेपन में हमे
हमेशा यह एहसास रहता है की जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति आए या उतार-चढ़ाव आए
हमे अकेले ही चलना है | आखिरकार हमारा अंत यही है अकेले आए थे अकेले ही जाएंगे |
किसी का सच्चा प्यार और परवाह यह सिर्फ नसीब वालो को ही मिलता है, चिल्ला कर और मांग कर नहीं मिल सकता | कभी कभी ऐसा भी होता है हम राह चलते पथिक के लिए छाव देने वाले पेड़ या पथिक के प्यास मिटाने के लिए एक पानी से भरा तलाव बन सकते हैं| लेकिन हम उस पथिक के साथ नहीं चल सकते | उनकी राह हम तक सीमित नहीं है | उसकी मंजिल हमसे बहुत आगे है | कभी कभी भावनात्मक लगाव में हम अपनी पहचान, हैसियत और अपनी हक़ की हद को भी भूल जाते है | लेकिन कुछ परिस्थितियाँ हमे फिर से यह एहसास दिला देती है कि हम क्या है और किसी के जीवन में हमारा महत्व क्या हो सकता है !
किसी का सच्चा प्यार और परवाह यह सिर्फ नसीब वालो को ही मिलता है, चिल्ला कर और मांग कर नहीं मिल सकता | कभी कभी ऐसा भी होता है हम राह चलते पथिक के लिए छाव देने वाले पेड़ या पथिक के प्यास मिटाने के लिए एक पानी से भरा तलाव बन सकते हैं| लेकिन हम उस पथिक के साथ नहीं चल सकते | उनकी राह हम तक सीमित नहीं है | उसकी मंजिल हमसे बहुत आगे है | कभी कभी भावनात्मक लगाव में हम अपनी पहचान, हैसियत और अपनी हक़ की हद को भी भूल जाते है | लेकिन कुछ परिस्थितियाँ हमे फिर से यह एहसास दिला देती है कि हम क्या है और किसी के जीवन में हमारा महत्व क्या हो सकता है !
सार्थक आलेखन,धन्यबाद।
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