Thursday 27 March 2014

शांत होने का मतलब यह नहीं है, कि हम किसी को अपने सर के ऊपर चड़ कर नाचने दें |

शांत होने का मतलब यह नहीं है, कि हम किसी को अपने सर के ऊपर चड़ कर नाचने दें | कल सड़क पर हुयी घटना से मुझे अपनी बचपन याद आ गयी | घटना कुछ यूँ था, एक बच्चा चुप-चाप खड़ा था और उसे सब बच्चे मिल कर छेड़ रहे थे और मुझे वहाँ अनुभव हुआ कि वो बच्चा हद्द से ज़्यादा शांत स्वभाव का है |

बचपन से ही मैं भी शांत स्वभाव की हूँ | सिर्फ दो चीज़ अच्छी लगती थी, एक तो बहुत सवाल करना क्योंकि किसी भी चीज़ के बारे में जानने की इक्षुक हमेशा रहती थी और दूसरा हँसना | लेकिन प्रतिवाद करना नहीं जानती थी | स्कूल में कोई कुछ करता भी था तो उसका आरोपी मुझे बना दिया जाता था। कई बार जहां तक मुझे याद है, मुझे जिस घटना का आरोपी बनाया गया, उसके के बारे में मुझे कुछ पता ही नहीं होता था | कुछ मित्रों की मानसिकता का अत्याचार मुझे सहना पड़ता था और जैसे यही मेरी आदत सी हो गयी थी | मेरे साथ यह सब कर के उन लोगो को बहुत मज़ा भी आता था क्योंकि यहाँ कमजोर पर हमेशा ही हुकूमत चलाया जाता है | घर पर भी कभी कुछ कह नहीं पाती थी।कहीं न कहीं मुझे यह डर था कि मुझे ही घर में डाँट पड़ेगी | यह सब मेरे साथ आठवीं कक्षा (class 8th) तक होता रहा और मैं सहाती भी रही, पता नहीं क्यूँ और कैसे ? फिर नवीं कक्षा (class 9th) में मेरे शांत स्वभाव को देखते हुये मुझे स्कूल यूनियन (school union) में सदस्या मिली, सिर्फ इसलिए ताकि मुझे मोहरा बना कर दूसरे अपने काम निकाल पाये | मैं कुछ ज़्यादा ही शांत होने के कारण उन सबके इस चाल को भी मना नहीं कर पायी, कि मुझे सदस्या नहीं बनना और कुछ हद्द तक टीचरस (teachers) लोगों की प्यार भी आड़े आ रही थी | बस ऐसा लगा की मैंने अगर सदस्य बनने से माना कर दिया तो teachers भी मुझसे प्यार नहीं करेंगे | यूनियन मेम्बर बनने के बाद बहुत कुछ मानसिक अत्याचार हुया। खैर वो बात अलग है कि फिर एक दिन एक टीचर ने बुला कर मुझे बहुत समझाया। वो टीचर मुझे बहुत प्यार करते थे और मैं उनका बहुत आदर करती थी। मेरे प्रेरणा स्त्रोत भी थे और आज भी हैं| कई दिन तक मैं सोचती रही, फिर अपने ही जीवन से तंग आ गयी और मैंने सोचा अपनी जीवन शैली को बदलना पड़ेगा और बदली भी | आज भी मैं शांत प्रकृति की ही हूँ। लेकिन सामने वाले को यह ज़्यादा पता नहीं चलने देती | आज इतना आत्मविश्वास (confidence) मुझमें है, कि कोई मेरे सामने बिना मतलब के कोई भी उल्टा सीधा और बे-सर-पैर की बात नहीं कर सकता | आज वही सारे मित्र भी प्यार के साथ बात करते हैं जो कभी हमेशा मेरी मज़ाक बनाया करते थे और मुझे तंग किया करते थे |

मैंने अपनी जीवन से यह सीखा है कि शांत होना बुरी बात नहीं है। यह ताकत बन सकती है, लेकिन शांत प्रकृति के चलते प्रतिवाद करना भूल जाना यह बहुत ज़्यादा खतरनाक हो सकता है | हमें ख़ुद की पहचान होनी चाहिए हम कमज़ोर नहीं हैं | इंसान की जीत वहाँ होती है, जहां वो ख़ुद में छिपे डर को निकाल फेंकता है | जहां ज़रूरत है वहाँ हमे ज़रूर सहना है, लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं सहना, जहां लोग हमें गलत काम के लिए गलत तरीक़े से इस्तेमाल करते हैं, और हमारे हक़ को दबाना चाहते हों | हर एक अभिवावक को अपने बच्चों को प्रतिवाद करने की हिम्मत देनी चाहिए | उसका हौसला बढ़ना चाहिए ताकि उसका बचपन ना छीने कोई | हमें बचपन में जो भी अच्छी या बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है उसका असर पूरे जीवन भर हमारे दिमाग में रहता है |

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