पिछले तीन दिन से
मेरे एक करीबी मित्र का आचरण मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था | वक़्त की कमी और कर्मव्यस्तता के चलते बात नहीं कर पा रही थी
| लेकिन आज जब शाम को थोड़ा
वक़्त मिला तब मुझे लगा पहले मैं अपने उस मित्र से ही मिलती हूँ और बात करती हूँ |
बात करने के बाद जो पता चला वो किसी भी साधारण
इंसान को चकित कर सकता है | उसने अपनी पूरी
कमाई एक ऐसे इंसान पर खर्च कर दिया जिसके वजूद पर हमे संदेह है | मेरे मित्र को भी इस बात पर अफसोस है लेकिन अब
कुछ भी वापिस तो नहीं आ सकता | उसे पता है उसके
साथ धोखा हुया है फिर भी वो उसका साथ निभा रहा है एक अभिभावक की तरह और एक
शुभचिंतक की तरह | यह संवेदना अच्छी
चीज़ होती है लेकिन हद से ज़्यादा संवेदना भी इंसान के लिए सही नहीं है क्योंकि तब
हम अपना विचार शक्ति खो देते है | मेरे मित्र ने
अपना सबकुछ उसके ऊपर निछावर कर दिया बदले में उन्हें क्या मिला ‘धोखा’ | पैसा खर्च करना बुरी बात नहीं है लेकिन खर्च की जगह सही
होना चाहिए | दान का मूल्य तभी
कायम रहता है जब वो सही काम और सही इंसान के काम आता है | किसी को भी मदद करने से पहले उसके बारे में बहुत ज़्यादा पता
करना ज़रूरी है | 10/20 हज़ार का
उपहार दे देना अलग बात होता है और बिना सोचे समझे किसी के ऊपर मर्माहत हो कर पूरे
जीवनभर का कमाई निछावर कर देना अलग बात होती है | आज मेरे वो मित्र जिस दर्द से गुज़र रहा है उसका अंदाज़ा
लगाना भी मुश्किल है | उनका जीवन भर का
कमाई खतम हो गया उन्हें उस बात का कोई ग़म नहीं है उन्हें सिर्फ इस बात का ग़म हैं
कि उनके साथ धोखा हुया और धोखा भी उसने दिया जिसके लिए उसने अपने परिवार की
सुरक्षा के बारे में भी नहीं सोचा और जिनके सपने को अपना सपना मान कर चला |
मैं अपना अनुभव सिर्फ इसलिए लिखती हूँ ताकि कुछ
भी करने से पहले इंसान एकबार सोचे जो गलतिया हम या दूसरे लोग भावनाओं में बह
कर करते हैं उसे और कोई अपने
जीवन में न दोहराए | गलतियों से हम
जीवन जीना सीखते है और यह भी सच है कुछ गलतियाँ हमे जीवन भर का ग़म भी देती हैं |
गलतियाँ न दुहराना ज्यादा सही हैं |
ReplyDeleteयेही सबसे बड़ी बात |
Deleteगलतियाँ हमारी मार्गदर्शन का भी कार्य करती है. कभी कभी एक गलती भी जीवन भर सताता रहता है। धन्यबाद।
ReplyDeleteसही है कुछ गलतियाँ जीवन भर ग़म देता है |
Deleteबिल्कुल सही कहा है - गलतियों से हमें आगे के लिए सीख भी मिलती है तो कुछ गलतियाँ जीवन भर का गम भी देती हैं .
ReplyDeleteनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
जी |
Deleteइस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-22/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -31 पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
धन्यवाद |
Deleteसही है, आज का समय ऐसा ही है, लेकिन मेरा मानना है, जो हुआ सो हुआ अब आगे से ऐसा न हो इसके लिए सोचना ज्यादा जरुरी है। हाँ कुछेक ऐसे विश्वासघाती लोगों की वजह से ही आज इंसान का इंसान के ऊपर से विश्वास उठता जा रहा है।
ReplyDeleteसही कहा अपने ...
Deletegreat line !! Always think Positive
ReplyDeleteविश्वास कई बार विष-वास बन जाता हैं
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