कुछ तो खोया है इन दिनों मैंने ,
जो समझ कर भी नासमझ बन गयी |
तुम वही हो फिर भी तुम वो नहीं हो ,
छल के पीछे अब कोई धुंधला सा साया हो |
तुम्हारी सोच धूल की तरह मिट्टी में मिल गयी ,
पता नहीं मेरी वो आज़ादी कहाँ खो गयी |
दुनिया बेगानी सी है क्योंकि तुम बदल गए ,
लेकिन आज भी तुम्हें खोने का वही दर्द है | - लिली कर्मकार
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