हर इंसान चाहता
है की वो जब निराशा (Depression) में रहे , तब उसका साथ खास
कर उसके घर वाले और उनके अपने (अभिभावक / माता-पिता / दोस्त ) ज़रूर दे | Depression
एक ऐसी चीज़ है जहां इंसान अत्महत्या तक करने के
लिए सोचता है और कई लोग कर भी लेते हैं | ज़्यादातर लोगों को गलत चीजों की लत तब गलती है जब वे Depression में रहते हैं | क्योंकि लोगों को गलती करने के बाद यह एहसास
होता है कि अब उनका साथ कोई नहीं देगा , उनके लिए कोई नहीं है और उनका जीवन बेकार बन चुका है | कोई भी साधारण इंसान गलत करनेवाले का साथ छोड़ देता है क्योंकि
वह नहीं चाहता कि उसके चरित्र पर कोई दाग लगे और उसका जीवन साफ रहे | लेकिन यह चीज़ किस हद तक सही है ? हम कैसे
जिम्मेदार नागरिक है कि एक इंसान अगर गलती करे तो उसको समझने और उसके भविष्य के
जीवन को सुधारने की जगह हम उसका साथ छोड़ देते हैं ! मेरी व्यक्तिगत राय यह है कि
हमे इतना अच्छा चरित्र रख कर कोई फाइदा नहीं कि हम किसी के जीवन को सँवारने के काम
ही ना आ पायें | हमारे आस-पास अगर
कोई भी ऐसा इंसान हो जिसका थोड़ा सा साथ देने से उसका जीवन सुधर जाए तो उसका साथ हम
सबको ज़रूर देना चाहिए | ऐसे किसी की भी
सहायता कर के देखिये , मन को ज़रूर शांति मिलेगी क्योंकि आप उस इंसान
के काम आ रहे हैं जिसको सच में आपकी ज़रूरत है |
तीन दिन पहले
मेरे एक दोस्त के भाई ने अत्महत्या करने की कोशिश की सिर्फ इसलिए क्योंकि वो Depression
में था | उसने कुछ गलती कर दी थी | लेकिन मेरे खयाल से वो गलती कोई बहुत बड़ा जुर्म नहीं था | उसे बहुत अच्छे से प्यार दे कर समझाया जा सकता
था | उसके अभिभावक ने उसे नहीं
समझाया हर बात पर डांटा और उसके साथ मार पीट की | कोई भी अगर गलती करता है या कर रहा है तो सबसे पहले हमारा
फर्ज़ बनता है उसे समझाना, नाकि ताना मारना और गालीगलौज करना | जब किसी को अपनी गलतियों का अहसास होता है तब वो इंसान यही चाहता है कि कोई उसे
समझे , उसे जीवन में आगे बढ़ने
में साथ दे , नाकि हमेशा उसकी गलती का एहसास करबाकर उसे पीछे धकेल
दे | कई लोग अपनी गलती का
सुधार सिर्फ इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उनका साथ देने के लिए कोई नहीं होता है |
तब वो इंसान इतना अकेला पड़ जाता है कि वो एक के
बाद एक गलती करते ही जाता है और उसे नशे जैसे चीजों की लत लग जाती है | यहाँ पर हमारा समाज बहुत हद तक जिम्मेदार है कि
हम एक गलत इंसान को अपनाना नहीं चाहते उसे सुधारना नहीं चाहते | हम हमेशा ऐसे अच्छे लोगों से घिरे रहना पसंद
करते हैं , जिस अच्छाई का कोई वजूद
ही नहीं है | एक-दो गलती से
इंसान का जीवन खतम नहीं हो जाता | हम इंसान हैं
गलतियाँ करते हैं फिर सीखते हैं और एक नयी राह की ओर फिर कदम बढ़ाते हैं |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शुक्रवार - 04/10/2013 को
ReplyDeleteकण कण में बसी है माँ
- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः29 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
धन्यवाद ....
Deleteबहुत सार्थक लेखन |
ReplyDeleteवैसे इस बात पर मैंने लेखो की एक श्रृंखला "तनाव"लेबल के तहत लिखा हैं |
मेरे ब्लॉग से पढ़ा जा सकता हैं |
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लिली जी आप हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरी पोस्ट लिखती हैं ,फेसबुक पर आपको वर्षों से पढता आ रहा हूँ |
डॉ अजय
“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
धन्यवाद जी आपका ... :)
Deleteसुन्दर सोच !!
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