हमेशा दूसरे की आँखों से जो परखा है हमें
इसलिए हमेशा गलत ही परखा है हमें |
कभी मन की आँखों से भी परख लेते ---
तो नज़दियाँ दूरियों में ना तब्दील होती | - लिली कर्मकार
इसलिए हमेशा गलत ही परखा है हमें |
कभी मन की आँखों से भी परख लेते ---
तो नज़दियाँ दूरियों में ना तब्दील होती | - लिली कर्मकार
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