Sunday 30 June 2013

सुखद अनुभूति ---

तकरीबन ढेड़ साल पहले जब मैं एक मीटिंग में अपना वक्तव्य रख कर स्टेज से उतर ही रही थी की अचानक एक 22 बर्षीय लड़का मुझसे मिला और बोला दीदी मुझे आपसे कुछ बात करनी है | मुझे भी उसे देख कर ऐसा लगा उसे शायद मेरी ज़रूरत है | करीब 1 घंटा मैंने उससे बात की वो बहुत अवसाद (depression) में था अपनी पारिवारिक और कुछ निजी कारणों के चलते | सबसे बड़ी बात ये की उसकी माँ नहीं थी | उसे बस थोडा सा अपनापन चाहिए था | वो इस कदर टूट चुका था की जीना ही भूल गया था | आज जब मैं उस लड़के को देखती हूँ तो उससे पता चलता है जीवन जीना क्या होता है, इंसान जीवन में आगे कैसे बढ़ पाते है | 3 महीने पहले उसका जॉब लगा । आज सुबह उसने मुझे कॉल कर के बताया “ दीदी मैंने एक गरीब बच्ची की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी लिया है ताकि मैंने जो सहा किसी एक को तो वो सहना ना पड़े ” |

उस लड़के पर मुझे गर्व है जो इतना कुछ सह कर भी अपने जीवन में आगे बढ़ा और एक गरीब बच्ची की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी भी लिया सच कहूँ तो आज उस लड़के ने मेरा दिन सफल कर दिया |

" ईश्वर से बस येही प्रार्थना है तुम्हारी यह सोच हमेशा यूँ ही कायम रहे और तुम जैसी सोच हर एक की बने | "

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