कुछ एहसास
ऐसे ही जवा होते है
लेकिन हकीकत
ना बन पाते है |
याद तो बहुत आए तुम
लेकिन बोलती कैसे
तुमने अपना पता
ना देने की जो ठानी है |
कुछ पल की ज़रूरत
अब जिन्दगी भर की
आदत जो बन चुकी है |
यह भी सच है
जीवन की आपाधापी में
तुमने
मुझे याद कहाँ किया ?
मैं तो यूं ही भटकती रही
लेकिन तुमने
मुझे भीड़ का हिस्सा मान लिया | - लिली कर्मकार
ऐसे ही जवा होते है
लेकिन हकीकत
ना बन पाते है |
याद तो बहुत आए तुम
लेकिन बोलती कैसे
तुमने अपना पता
ना देने की जो ठानी है |
कुछ पल की ज़रूरत
अब जिन्दगी भर की
आदत जो बन चुकी है |
यह भी सच है
जीवन की आपाधापी में
तुमने
मुझे याद कहाँ किया ?
मैं तो यूं ही भटकती रही
लेकिन तुमने
मुझे भीड़ का हिस्सा मान लिया | - लिली कर्मकार
No comments:
Post a Comment