माना की तुम कुछ कह नहीं सकतेलेकिन सच यह भी हैछोड़ कर जा भी
नहीं सकते |
अगर
दुनियादारी की
बात आती है
तो तुम्हें कहाँ
परवा है खुद की ?
लेकिन
फिर भी तुम्हें
परवा है अपनों की |
ना छोड़ पाये
ना बिछड़ पाये
बस जीवन में
एक ख्वाब को
जगह दिये
जो
कभी हकीकत
ना बन पाया | - लिली कर्मकार
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