हे मानव ! अब ना उलझो तुम इन राजनैतिक साज़िशों में
हे मानव ! अब ना उलझो तुम इन धार्मिक रंजिशों में !
अब उठो ! रास्ते में बिखरे हुए सारे कांटों को उखाड़ फेंको ..
हे मानव ! सारी शृष्टि तुमसे है, अब तुम्हें ही जागना है !
हे मानव ! अब ना उलझो तुम किसी भी माया मोह में ...
हे मानव ! अब तो मानव बन मानवता के लिए जियो तुम ! - लिली कर्मकार
हे मानव ! अब ना उलझो तुम इन धार्मिक रंजिशों में !
अब उठो ! रास्ते में बिखरे हुए सारे कांटों को उखाड़ फेंको ..
हे मानव ! सारी शृष्टि तुमसे है, अब तुम्हें ही जागना है !
हे मानव ! अब ना उलझो तुम किसी भी माया मोह में ...
हे मानव ! अब तो मानव बन मानवता के लिए जियो तुम ! - लिली कर्मकार
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