ख़ुशी के दो पल याद आए लेकिन ,
वहाँ तुम नहीं थे ...... ।
याद आते भी कैसे ..... !
कड़वाहट से जो हम दोनों ने रिश्ते को निभाए ... ।
तुम कौन सी वफ़ा की बात करते हो .... ?
जहां तक रिश्ता निभाने की बात है ....
वो तो दुनियादारी के अलावा और कुछ था भी नहीं ... !
हम दोनों तो सिर्फ प्यार को ....
वहाँ तुम नहीं थे ...... ।
याद आते भी कैसे ..... !
कड़वाहट से जो हम दोनों ने रिश्ते को निभाए ... ।
तुम कौन सी वफ़ा की बात करते हो .... ?
जहां तक रिश्ता निभाने की बात है ....
वो तो दुनियादारी के अलावा और कुछ था भी नहीं ... !
हम दोनों तो सिर्फ प्यार को ....
दुनियादारी समझके निभाते रहे ... ।
जब प्यार का मतलब समझ में आया ....
तब तो यह दुनियादारी का रिश्ता टूटना ही था ... ! – लिलि कर्मकार
जब प्यार का मतलब समझ में आया ....
तब तो यह दुनियादारी का रिश्ता टूटना ही था ... ! – लिलि कर्मकार
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