फितरत में नहीं हमारे दर्द में आसू बहाना . . . !
अंजाम को भी अपना बना ले हम . . .
वो जान भी रखते है पहचान भी रखते है
करते नहीं इंतज़ार हम किसी भी हमदर्द का . . .
जीवन की राहों में . . . . . . . . .
अकेले ही चले थे अकेले ही चलते जाएंगे . . . ! – लिलि कर्मकार
No comments:
Post a Comment