इस दुनिया में क्या तेरा है , क्या मेरा ...
क्या अपना है , क्या पराया ...
यह तो सिर्फ एक जरिया है ,
दिल के जज़्बात दिल तक पहुंचाने का ... !
यह तो सोये हुये लोगो का देश है ....
यह नींद आज की नहीं सदियों पुरानी है ... !
नज़र उठा के देखो .....
उम्मीद अब कौन से आरमानों को सिचेंगी ... !
कुछ नयी बात करे .....
इरादों को अपनी पंख लगाओ ....
कदम उठाओ और जमीन नज़र आएगी ... ! – लिलि कर्मकार
क्या अपना है , क्या पराया ...
यह तो सिर्फ एक जरिया है ,
दिल के जज़्बात दिल तक पहुंचाने का ... !
यह तो सोये हुये लोगो का देश है ....
यह नींद आज की नहीं सदियों पुरानी है ... !
नज़र उठा के देखो .....
उम्मीद अब कौन से आरमानों को सिचेंगी ... !
कुछ नयी बात करे .....
इरादों को अपनी पंख लगाओ ....
कदम उठाओ और जमीन नज़र आएगी ... ! – लिलि कर्मकार
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