Saturday 1 September 2012


देखो आडंबर इस दुनिया का ...

जज्बात से भरी दुनिया में …..

जज्बातों की कोई कदर नहीं ...!


आखों को बंद करते ही …..

हमारे सामने आ गए ……

कोई भूखा है तो कोई बेकार .... !


दायरे में खड़ी होती हूँ तो ...

सच्चाइयाँ कड़वाहट के ...

रूप में सामने आती है ... ।


दुनिया खूबसूरत तो है लेकिन ...

नज़र क्यू नहीं आती ... ?

खरीदने वाले तो सिर्फ ....

बाज़ार में मिलते है , हर चीज़

की दाम लगाने के लिए ..... ! - लिलि कर्मकार
 

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