Saturday 1 September 2012

साधुओं का वेश धारण करने से कोई सिद्ध नहीं हो जाता .... कुयोंकी मन को वश करने की कला हर कोई नहीं जानता …. ! सच तो यह है की जिसका हृदय फकीर है भगवान उसी के साथ है .... !

हमारे यहाँ धार्मिक , सामाजिक , कला तथा राजनीतिक विषयों पर नज़र डाला जाए तो सभी जगह अपने क्षेत्र के अनुसार वेषभूषा तो पहन लेते हैं पर उनको ज्ञान का कोई पता नहीं रहता .... ! हमारे समाज के विभिन्न क्षेत्रों के शिखरों पर बहुत अक्षम और अयोग्य लोग पहुँच गए है ... ! येसे में उनके कार्यों की प्रामाणिकता पर यकीन नहीं करना चाहिए …. !
 

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