मैं क्या हूँ ......?
कुछ भी तो नहीं ........
सिर्फ ......
ज़मीन पे पड़े उस रेत की तरह हूँ .....
जिसकी जज़्बातों का कोई कदर न हो ...... !
समय के साथ साथ इस दुनिया में ....
बहुत कुछ बदल जाते है .....
ओर ......
जो सबसे पहले बदल जाए ......
वो इंसान कहलाता है ......... !
अब मैं अपनी तालाश में हूँ .....
मेरा कोई रहनुमा नहीं है .....
वो क्या दिखाएगा राह मुझे .....?
जिसको अपनी राह की कोई पता है नहीं ..... ! - लिलि कर्मकार
कुछ भी तो नहीं ........
सिर्फ ......
ज़मीन पे पड़े उस रेत की तरह हूँ .....
जिसकी जज़्बातों का कोई कदर न हो ...... !
समय के साथ साथ इस दुनिया में ....
बहुत कुछ बदल जाते है .....
ओर ......
जो सबसे पहले बदल जाए ......
वो इंसान कहलाता है ......... !
अब मैं अपनी तालाश में हूँ .....
मेरा कोई रहनुमा नहीं है .....
वो क्या दिखाएगा राह मुझे .....?
जिसको अपनी राह की कोई पता है नहीं ..... ! - लिलि कर्मकार
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