कहाँ है वह दुनिया ...... ?
जहाँ सर उठाने में .....
कोई डर न हो ....... ।
जहाँ सच बोलने पर .......
कोई पाबंदी न हो ...... ।
अब तो यहा बंदुके .....
सरकार बन गयी है ..... !
ओर धार्मिक राहें .....
दीवार बन गयी है ...... !
कहाँ है वो दुनिया ......... ?
जहां टुकड़ों में बांटना ....
मेरा घर न हो ........ ! - लिलि कर्मकार
जहाँ सर उठाने में .....
कोई डर न हो ....... ।
जहाँ सच बोलने पर .......
कोई पाबंदी न हो ...... ।
अब तो यहा बंदुके .....
सरकार बन गयी है ..... !
ओर धार्मिक राहें .....
दीवार बन गयी है ...... !
कहाँ है वो दुनिया ......... ?
जहां टुकड़ों में बांटना ....
मेरा घर न हो ........ ! - लिलि कर्मकार
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