Saturday 1 September 2012

आजकल ज्यादातर लोग हताशा और चिंताओं से घिरे दिखाई देते हैं । हर व्यक्ति किसी न किसी कारण से दुखी रहता है । असल में नकारात्मक कर्म मनुष्य को गर्त में ले जाते हैं । और सकारात्मक सोच उसे अहिंसक बनाती है । आज हम किसी को कष्ट देंगे तो कल कोई दूसरा हमें दुख देने के लिए तैयार मिलेगा । बबूल का पेड़ बोया है तो आम खाने को तो मिलेंगे नहीं ।

जिस तरह जीवन के लिए सांसें जरूरी हैं , उसी प्रकार सत्य का आचरण जरूरी है । वही असली पूजा है । सत्य वह है , जो किसी भी परिस्थिति में बदले नहीं । सत्य शाश्वत है । जो शाश्वत है , वही ईश्वर है । यह संसार अनित्य है और इसमें बंधना सबसे बड़ी भूल है । यही भूल हम सब बार-बार करते हैं । सच की खोज यानी विज्ञान हमें विशेष ज्ञान से भरता है । सच और प्रेम एक दूसरे के पूरक हैं ।
 

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