दूरियाँ मीट रही है अब अंजानेपन से .....
हमें भी बढ़ना है अपने अभिमान से ..... !
जो सिर्फ हो अपने पहचान से ..... !
की हममें कोई प्यास नहीं ...... ,
प्रगति की यह कभी परिभाषा नहीं ..... !
हम तो चले दुनिया से कदम मिलाने .....
बस अंजानें पंखों की लाचारे ...... !
अपने जीवन का रफ्तार बढ़ाने ..... !
जो हम इंसान की प्यास है ..... ,
वही तो प्रगति का इतिहास है ...... !
हमें भी बढ़ना है अपने अभिमान से ..... !
जो सिर्फ हो अपने पहचान से ..... !
की हममें कोई प्यास नहीं ...... ,
प्रगति की यह कभी परिभाषा नहीं ..... !
हम तो चले दुनिया से कदम मिलाने .....
बस अंजानें पंखों की लाचारे ...... !
अपने जीवन का रफ्तार बढ़ाने ..... !
जो हम इंसान की प्यास है ..... ,
वही तो प्रगति का इतिहास है ...... !
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