आ चले कुछ अजनबी शहर में ...... ,
ओर कुछ अंजान डगर में ....... ।
जीवन में तो चलेने के लिए ......
ऐसे कितने रास्ते अंजान है ...... ।
यह जिंदगी फिर से निकाल परी है ......
एक अंजान रास्ते की सफर में ...... ।
कितनी दीवारें इस दुनिया में अनखुली है .....
कितनी रास्ते गुमसूदा है इस सफर में .....
यह सफर किसी पहेली से कुछ कम भी नहीं है ..... !
फिर भी बहुत आस है इस नए सफर में .....
येही तो जीवन जीने का सलीका है .....
हार में भी बहुत बड़ी जीत है ......
जो जीवन को नए से जीना सिखाती है ...... । - लिलि कर्मकार
ओर कुछ अंजान डगर में ....... ।
जीवन में तो चलेने के लिए ......
ऐसे कितने रास्ते अंजान है ...... ।
यह जिंदगी फिर से निकाल परी है ......
एक अंजान रास्ते की सफर में ...... ।
कितनी दीवारें इस दुनिया में अनखुली है .....
कितनी रास्ते गुमसूदा है इस सफर में .....
यह सफर किसी पहेली से कुछ कम भी नहीं है ..... !
फिर भी बहुत आस है इस नए सफर में .....
येही तो जीवन जीने का सलीका है .....
हार में भी बहुत बड़ी जीत है ......
जो जीवन को नए से जीना सिखाती है ...... । - लिलि कर्मकार
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