दरिया पार …
प्यार की तिनके
की वफ़ा …
न जाने किस मोड़
पर टूट जाता है ... !
तनहाई में …
अक्सर दिल टूट सा
जाता है ...
करके वफ़ा वादा
...
अक्सर लोग बेवफ़ा
हो जाते है ... !
यह रिश्ते , यह सपने ...
बस होते है शीशे
के समान ...
किसी को नहीं पता
कहाँ टूट जाता है ... !
हर एक मोड़ पे ...
दिल में अजीब सा ख्वाहिशों का मेला है ...
फूलों के छाँव में काटों के भी रास्ते है ... ! – लिलि कर्मकार
No comments:
Post a Comment