नयी सोच
Monday 24 September 2012
मैंने देखा है - इंसान को ......
दबे पैर पीछे हटते हुए ......
और अपने आपसे भागते हुए ...... !
ज़िन्दगी की उलझे हुये पलों में .......
हम सभी कुछ इस तरह उलझे की ......
जीना ही भूल गए ........ ! - लिलि कर्मकार
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