Monday 10 September 2012

एक राह ख़त्म होती है तो . . .

दूसरी राह पर हम चलते है . . . !  

जीवन के आपाधापी में . . .

क्या खोया ... क्या पाया . . . !

कौन मिला कौन बिछड़ा . . .  

पीछे मुड़ कर . . .

देखने की वक़्त किसको है . . . !

इस व्यस्तता भरी जीवन में . . . !

सब जीवन-पथ के राह में . . .

भूलते जाते है . . .

फिर भी हम जीवन को . . .

जीते जाते है . . .

एक नयी उमंग और उत्साह के साथ . . . !
 
मत विचार कर अब आगे . . . ,

सोचो अब हमें क्या करना है . . . !

जो आने वाले कल का पहचान होगा . . . ! - लिलि कर्मकार

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