Friday 31 August 2012


परिंदों को नहीं दी जाती

तालीम उड़ने की ..... ।

इक उम्मीद पे ही टिका है

सारा जहां ..........

उम्मीद कुछ पाने के

पहले भी रहती है ,

उम्मीद कुछ खोने के

बाद भी रहती है ......... ।

परिंदे तो खुद ही तय करते है

असमानों में अपनी उड़ान ...... ।

परिंदे को तो होता है सिर्फ ,

अपने हौसले पर विस्वास .....

उसको गिरने की कोई

परवाह नही होती ....... । - लिलि कर्मकार

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