जीवन की आपाधापी से दूर
दिन वो बचपन के ,
आज वही ........
ख्वाब लिख रही हूँ मैं ,
खयाल लिख रही हूँ मैं ,
वही एहसास लिख रही हूँ मैं .....!
पता नही कहाँ खो गई
वह जिंदगी .......।
सब बदल गए हैं ...
शायद में भी बदल रही हूँ …….
ये बदलाव भी जिंदगी का ही
एक रूप है ...... !
बस , यही जिन्दगी है
जो अब बखूबी से समझ पा रही हूँ ...! - लिलि कर्मकार
दिन वो बचपन के ,
आज वही ........
ख्वाब लिख रही हूँ मैं ,
खयाल लिख रही हूँ मैं ,
वही एहसास लिख रही हूँ मैं .....!
पता नही कहाँ खो गई
वह जिंदगी .......।
सब बदल गए हैं ...
शायद में भी बदल रही हूँ …….
ये बदलाव भी जिंदगी का ही
एक रूप है ...... !
बस , यही जिन्दगी है
जो अब बखूबी से समझ पा रही हूँ ...! - लिलि कर्मकार
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