यदि कोई व्यक्ति हमारी निन्दा करता है अथवा दूसरों के सामने हमारी आलोचना करता है तो उससे हमे उत्तेजित नहीं होना चाहिए॥ कहावत भी है की - " यदि कोई व्यक्ति आकाश की ओर बट्टा फैंकता है तो वो लौट कर धरती पर आता है ॥ " अतः यदि हममें कोई दोष नहीं है, तो जो हमारी निन्दा करेगा, वो मिथ्या सिद्ध होने पर लोग उसके बारे में सोचेंगे की यह निन्दा करने वाला व्यक्ति मिथ्यावादी है, गोया वह निन्दा उसकी ओर स्वयं लौट कर आयेगी॥ यदि हममें कोई दोष है, तो हमें मधुर मुस्कान से स्वयं ही मान लेना चाहिए॥ उससे हमारी साख भी बनी रहेगी, मन भी अशान्त नहीं होगा और हम घृणा से भी बचे रहेंगे॥
सार्थक पोस्ट, आभार.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.