1 जनवरी 2005
को भारत मे WTO समझौता लागू हुआ था । इसके बारे मे एक मोटी-मोटी बात जान
लीजिये कि भारत की संसद कोई भी ऐसा कानून पास नहीं कर सकती जो WTO (विश्व व्यापार संगठन ) समझौते की किसी भी शर्त
का उलंघन करता हो । अर्थात ये समझौता हमारी संसद से ऊपर है । ये प्रस्ताव 576
पेजो का है इसमे 2000 से अधिक शर्ते है, और इन 2000 शर्तो को 28
चैप्टर मे बांटा हुआ है । अमेरिका भी इसका
सदस्य है लेकिन वो बहुत चतुर निकला । जब भारत ने इस पर हस्ताक्षर कर दिया तब उसने
हस्ताक्षर करने से पहले अपनी संसद मे एक कानून पास कर दिया की जब भी अमेरिकी संसद
के किसी कानून और WTO की किसी शर्त मे
टकराव होगा तो अमरीकी संसद का कानून माना जाएगा । वैसे मात्र एक चिट्ठी लिख कर
भारत सरकार 6 महीने मे इस
समझोते से बाहर हो सकती है । अर्थात इसे रद्द किया जा सकता है । लेकिन इसके बाद World
Bank IMF अमेरिका बहुत दबाव
बनाएँगे की हमारा कर्ज वापिस करो, आगे कर्ज नहीं
देंगे, आप पर आर्थिक पाबन्धी लगा
दी जाएगी । ये कर देंगे वो कर देंगे । खैर वो तो भारत सरकार पर निर्भर है क्या वो
इतना दबाव झेल पाती है और इनको करारा सबक सिखाती है या नहीं !!
ये किताब का link पढ़ने के लिए !! http://rajivdixitmp3.com/wto/ ये WTO से जुड़े mp3 का Link !! http://rajivdixitmp3.com/category/4wto_agreement_globalisation_indian_economy_collapse/ ये विडियो link !! http://www.youtube.com/watch?v=LATgjt6V-qA
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डब्ल्यूटीओ समझौता ( जिसका पहला नाम गेट समझौता था ) भारत के हित में कतई नहीं था ! जिसका दुष्प्रभाव भी धीरे धीरे सामनें आने लगा है ! इसको रद्द करनें की आवश्यकता है !!
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