राजधानी के लोगों
ने ‘आम आदमी पार्टी’ को चुना जबकि इसके जन्म को सिर्फ एक साल ही
हुये है | इसपर बीजेपी की
टिपण्णियां बहुत तीखी हैं | लेकिन राजधानी के
लोगों ने एक नए पार्टी के ऊपर विश्वास क्यों कर लिया यह भी सोचने वाली बात है |
काँग्रेस की बात हम छोड़ ही देते हैं क्योंकि यह
पार्टी तो भ्रष्ट तंत्र से लिपटी हुई है, यह सभी जानते है | लेकिन इतनी बड़ी
पार्टी बीजेपी को जनता ने क्यों नहीं चुना ? इसलिए बीजेपी वाले को यही नसीहत है कि वे दूसरे को कोसने की
वजाय अपनी गलती को सुधारें और जमीनी स्तर पर ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान दें यदि
पार्टी चाहती है कि 2014 में देश को मोदी
जैसा प्रधानमंत्री मिले | अगर देखा जाए तो
बीजेपी इतनी बड़ी पार्टी है और ऊपर से इतना पुराना भी लेकिन अभी तक इस पार्टी में
एकता का बहुत अभाव है इसलिए दूसरे हमेशा बाज़ी जीत जाते रहे है | 'आम आदमी पार्टी' और केजरीवाल कितना सही है और कितना गलत यह बात तो बाद में
आती है पहले स्वयं का सुधार बहुत ज़्यादा ज़रूरी है |
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