Saturday 28 December 2013

रिश्ते के बीच दूरियाँ

कभी कभी वक़्त किसी रिश्ते के बीच इतनी दूरियाँ ला देते है की वर्तमान में अगर हम चाहे भी तब भी वो दूरियाँ नहीं मिट सकती | इसलिए अगर किसी भी रिश्ते में , कोई भी ग़लतफ़हमी हो जाए तब उस वक़्त ही हमे सामनेवाले से बात कर के उस ग़लतफ़हमी को सुलझाना चाहिए अगर हम रिश्ते को निभाना चाहे तो | दूरियाँ बढ्ने नहीं देनी चाहिए आपस में , क्योंकि हम जितना मन में आक्रोश दबा कर रखेंगे रिश्ता उतना ही टूटने की कगार पर चला जाएगा | और इस दौड़ती भागती दुनिया में सबसे बड़ी बात यह है की वक़्त किसी के पास नहीं है किसी के लिए और लोग बहुत व्यस्त रहते है अपने आपमें | और धीरे धीरे गलत्फ़ेमी से भरा रिश्ता हमारे लिए बोझ बना जाता है और हम उससे दूर भागना चाहते है | कुछ दिन बुरा लगता है सबको , बाद में इंसान वक़्त के साथ भूल भी जाता है सबकुछ और भूलना ज़रूरी भी होता है जीने के लिए | और कभी अगर हम उस रिश्ते को जुड़ना भी तो चाहे पहले जैसा कभी नहीं बन पता कहीं न कहीं कुछ कमियाँ रही जाती है क्योंकि वक़्त के साथ हम आगे बढ़ जाते है और हमे उस रिश्ते के बगैर और उस इंसान के बगैर जीने की आदत पर जाती है | तब हम चाह कर भी वो अपनापन न तो उसे दे पाते है और ना तो उससे ले पते है | ऐसे बहुत कम इश्ते होते है जो की बहुत दिनों तक गलत्फ़ेमी में रह कर भी पहले की तरह ज़िंदा रहते है | इसलिए जब आपसी रिश्ते में बात बिगड़े हमे तब ही आपस में बात कर के रिश्ते को सम्हाल लेनी चाहिए अगर हम रिश्ते को सच में ही निभाना चाहते है तो | नहीं तो इस दिखावे की दुनिया में ऐसे भी बहुत कुछ ऐसे ही दिखावे के लिए होता रहता है |

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