बहुत फैल गया था अंधेरा चारों ओर |
डरती थी की मेरे छाये को ही मुझसे घुटन तो नहीं होती ?
आज अचानक से अंधेरे में
उजाले की किरण मन को एक नयी दिशा दे गयी |
पीछे मुड़ का भी देखा अतीत का कोई मायाजाल तो नहीं !
ना , सब बीती बातें फीकी पर गयी आज नए जीवन के आगे |
सुन्दर !!
ReplyDeleteधन्यवाद ....
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