Thursday 9 May 2013

आखिर तुम्हें झूँठ तो 
बोलना ही था 
और ....
बहाना भी बनाना था 
क्योंकि ........ 
मैं तुम्हारी मजबूरी जो ठहरी |
और ....
तुम मेरी आदत और ज़रूरत |

शायद मेरी
आदत और ज़रूरत ,
आज तुम्हारी
मजबूरी भरी रिश्ते के आगे
फीकी पर गयी |

किसी दिन यह रिश्ता
भी दम तोड़ देगा
और ....
यादों के किसी किनारे
छिप भी जाएगा
लेकिन ...
यह भी सच है यह यादें
कभी मर नहीं पायेंगी | - लिली कर्मकार

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