एक भूखे पेट इंसान के सामने परोसा हुया खाने की जो अहमियत और सम्मान होती है वही सम्मान एक भरे पेट इंसान के मन उतनी नहीं होती उस खाने के प्रति ... ! असल में खाने का अहमियत भी तभी होती है जब कोई भूखा रहता है वही अगर हम इंसानी जीवन में देखे तो जिस इंसान के पास चाहने वाले या प्यार करने वाले की कोई कमी नहीं है ऐसे मौके पर कोई अगर उसे निःस्वार्थ होके चाह रहा है और उसके साथ जुड़ा हुया है तो उसका भी बहुत ज़्यादा कोई अहमियत और सम्मान नहीं रहता है उसके जीवन में (कुछ अपवादों को छोड़ कर ) ... !
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