Monday 17 December 2012

एक भूखे पेट इंसान के सामने परोसा हुया खाने की जो अहमियत और सम्मान होती है वही सम्मान एक भरे पेट इंसान के मन उतनी नहीं होती उस खाने के प्रति ... ! असल में खाने का अहमियत भी तभी होती है जब कोई भूखा रहता है वही अगर हम इंसानी जीवन में देखे तो जिस इंसान के पास चाहने वाले या प्यार करने वाले की कोई कमी नहीं है ऐसे मौके पर कोई अगर उसे निःस्वार्थ होके चाह रहा है और उसके साथ जुड़ा हुया है तो उसका भी बहुत ज़्यादा कोई अहमियत और सम्मान नहीं रहता है उसके जीवन में (कुछ अपवादों को छोड़ कर ) ... !

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