श्री रामकृष्ण के महान शिष्य , हिन्दू धर्म के प्रचारक , महान देशभक्त , राष्ट्र निर्माता , समाज शास्त्री तथा सर्वोत्तम संगठक परिव्राजक सन्यासी स्वामी विवेकानन्द अपने जीवन का लक्ष्य खोंजते हुये भारत का भ्रमण करते हुये आज ही के दिन यानी 25 दिसम्बर 1892 को भारत के दक्षिण और कन्याकुमारी जा पहुंचे । समुद्र स्थित श्री पदशीला पर उन्होने भारत के अतीत वर्तमान तथा भविष्य का ध्यान किया । इन ही तीन दिन 25 , 26 , 27 दिसम्बर 1892 के ध्यान के पश्चात् ही उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त हुया तथा उन्होने राष्ट्रीय कार्य करने का संकल्प लिया । उनके विदेश गमन से और विदेश में किए गए कार्य से भारत का खोया हुया आत्मविस्वास फिर से जागृत हुया और भारत अपना नियत कार्य करने के लिए सिद्ध हुया । आज के इस शुभ अवसर पर हम सभी को संकल्प लेना चाहिए की हम अपने जीवन में देश तथा समाज के लिए कैसे अपना अवदान देंगे !
जय हिन्द , जय माँ भारती ... !
जय हिन्द , जय माँ भारती ... !
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