Wednesday 14 November 2012

हमारे देश में संस्कार का मानक नारी से तय किया जाता है और हर सितम भी नारी ही सहती है ... तो यह दोहरे माप दंड वाला समाज नहीं हुया क्या ... ! देश की संस्कार और संस्कृति की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी क्या सिर्फ देश की बेटियों के ऊपर ही है .... ?
 
जहां हम एक तरफ लिंग समानता की बात करके महान बनने की कोशिश करते वहीँ दूसरी तरफ हर एक गलती के लिए किसी न किसी नारी के ऊपर ही इल्जाम तय किये जाते हैं ... । अगर किसी लड़की के साथ बलात्कार हुया तो गलती उस लड़की की , उसीका चरित्र ख़राब बता दिया जाता है पर जो बलात्कार करते है वो कहाँ के महापुरुष होते है ... ? एक खाप पंचायत में फरमान दिया गया की लड़कियों की शादी 16 साल में करनी चाहिए , 40 साल से पहले घर से बहार अकेले नहीं निकलना चाहिए ... । और उस पर उस समाज के पढे लिखे नेता भी मुहर लगाते है ... । नारियों के साथ घर के अंदर तथा बाहर जो जुर्म हो रहे है उन पर यह समाज सुधारक चुप्पी क्यों साधे हुये है ?

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