दुनिया की भीड़ में . . .
था तू अकेला . . . !
तू नामुमकिन को भी . . .
मुमकिन बनाता चला गया . . . !
अपने लिए रास्ता . . .
बनाता चला गया . . . !
पहले तो घर वालों का . . .
साथ छूटा फिर जमाने का . . . !
तू दुनिया की नज़र से
नजरिया मिलाता गया . . . !
था तो तू अकेला ही . . .
डरता था तू जिस
अंजाम के डर से . . .
न जाने अब ऐसा क्या हुया
डर भी न लगता तुझे
एक अनजान से अंजाम से . . . ! - लिलि कर्मकार
था तू अकेला . . . !
तू नामुमकिन को भी . . .
मुमकिन बनाता चला गया . . . !
अपने लिए रास्ता . . .
बनाता चला गया . . . !
पहले तो घर वालों का . . .
साथ छूटा फिर जमाने का . . . !
तू दुनिया की नज़र से
नजरिया मिलाता गया . . . !
था तो तू अकेला ही . . .
डरता था तू जिस
अंजाम के डर से . . .
न जाने अब ऐसा क्या हुया
डर भी न लगता तुझे
एक अनजान से अंजाम से . . . ! - लिलि कर्मकार
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