Saturday 1 September 2012

श्रृद्धा बहुत ऊची चीज है विश्वास और श्रृद्धा का मूल्यान्कन करना सम्भव नही है जैसे अप्रिय शब्दों से अशांति और दुख पैदा होता है , ऐसे ही श्रृद्धा और विश्वास से अशांति शांति में बदल जाती है , निराशा आशा में बदल जाती है , कोध क्षमा में बदल जाता है , मोह क्षमता में बदल जाता है , लोभ संतोष में बदल जाता है और काम राम में बदल जाता है । श्रृद्धा एवं विश्वास के बल से और कई रासायनिक परिवतर्न होते है । श्रृद्
धाके बल से शरीर का तनाव शांत हो जाता है , मन संदेहरहित हो जाता है , बुद्धि् में दुगनी-तिगुनी योग्यता आती है और अज्ञान की परतें हट जाती हैं । सभी धर्मो में - चाहे वह हिन्दु धर्म हो या अन्य कोई भी धर्म हो उसमें श्रृद्धाकी आवश्यकता होती है । ईश्वर , औषधि , मूर्ति , तीर्थ एवं मंत्र में श्रृद्धा होगी तो फल भी मिलेगा ।
 


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