Saturday 1 September 2012

मनुष्य अपनी कमियों को मिटाए बिना भगवान का प्रिय नहीं बन सकता। भौतिक सुखों में मन लगाया तो कष्ट है और ईश्वर का चिंतन किया तो स्वर्ग का सुख है। इसलिए ईश्वरीय शक्ति प्राप्त करो और उसी के सहारे अपने भाग्य को बदलने की हिम्मत जुटाओ। प्रेम के रूप में ईश्वर हम सबके अंदर मौजूद है। ईश्वर के प्रति प्रेम भक्ति को बढ़ाता है। 

भक्ति योग यानी आत्म साक्षात्कार प्रेम द्वारा ईश्वर प्राप्ति योग की उच्चतम स्थि
ति है। संसार से विलग होकर ही संसार का ज्ञान प्राप्त होता है। लेकिन भगवान से प्रेम करके उससे एकाकार होकर भगवान का ज्ञान होता है। प्रेम में ही भगवान का वास है। नजरों में यदि प्रेम की आभा होगी, तो ईश्वर स्वयं सामने खड़ा दिखाई देगा। प्रेम ऐसी चीज है कि जितना बांटोगे, उतना बढ़ता जाएगा। इसीलिए प्रेमपूर्वक जीवन यापन अत्यंत जरूरी है।

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