अब तो यह जीवन . . .
अँधेरे पिंजर में बंद हो गयी . . . !
कब का संग छोड़ गयी . . .
इस दुनिया के हर एक त्योहार से . . . !
कोशिश जीवन-पथ में चलने की . . .
लेकिन अब तो तन्हाई से . . .
यह जीवन नासूर बन गयी है . . . !
आज भी इस जीवन में मोह और प्यार है . . . !
आज भी इस जीवन में आस है . . .
आज भी इस आँखों में सपने बसते है . . .
आज भी इस होठों पर हांसी है . . .
आज भी सारे रंगों से उतना ही प्यार है . . .
सिर्फ समाज के अंधे रिवाजों में . . .
यह जीवन कहीं गूम सी हो गयी है . . . ! - लिलि कर्मकार
अँधेरे पिंजर में बंद हो गयी . . . !
कब का संग छोड़ गयी . . .
इस दुनिया के हर एक त्योहार से . . . !
कोशिश जीवन-पथ में चलने की . . .
लेकिन अब तो तन्हाई से . . .
यह जीवन नासूर बन गयी है . . . !
आज भी इस जीवन में मोह और प्यार है . . . !
आज भी इस जीवन में आस है . . .
आज भी इस आँखों में सपने बसते है . . .
आज भी इस होठों पर हांसी है . . .
आज भी सारे रंगों से उतना ही प्यार है . . .
सिर्फ समाज के अंधे रिवाजों में . . .
यह जीवन कहीं गूम सी हो गयी है . . . ! - लिलि कर्मकार
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