बरबाद हो गए थे हम तब .... जब दुनिया ने हमे सताया .... ! हर एक मोड़ पे हम गिरते थे ....
लेकिन किसी ने हमे उठाया नहीं .... !
मुसकीलों में घिर के भी …..
हमने जीने की उम्मीद ना छोड़ी ... !
फ़लक से भी ऊंची होगी उड़ान हमारी ....
दुनिया भी देखेगी मुकद्दर हमारी .... ! – लिलि कर्मकार
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