Friday 31 August 2012

हमे हमेसा यह देखने के लिए मिलते है की कुछ व्यक्ति ऐसे ही बिना सोचे समझे किसी के बारे में कुछ भी बोलते रहते है ...। लेकिन यह एक गलत आदत है ...। यह कभी कभी इर्षा के कारण होते है या फिर बदला लेने की मनोभाव से ...। लेकिन यह सबके लिए तथा समाज के लिए भी हानीकारक है ....। उस समय वह व्यक्ति इतने आक्रोस में रहते है की उसे खुद पता नहीं रहते है की वह क्या कर रहे है और क्
या कह रहे है ....। तब उन्हें किसी के द्वारा बोले गए मीठे बोल भी करवा लगने लगते है ...। वह आक्रोस की आग में इस तरह जलते है की वह खुद के ऊपर नियत्रण ही नहीं रख पाते ....।

बात तो तब और भी ज्यादा बिगड़ते है जब कोई दूसरा व्यक्ति बिना सोचे समझे बिना कुछ भी जाने उसके बातों को बढ़ावा देते है ...। जो की वह व्यक्ति खुद भी नहीं जानते है की , असल बात क्या है ...? कभी भी एक पक्ष की बात सुनके हमे किसी को भी गलत नहीं समझना चाहिए ....। ओर यह उचित भी नहीं है ....। क्युकी हम यह नहीं जानते है की , असल बात आखिर क्या है ....? सत्य क्या है ...? जो यह बात बोल रहे है वह कितना सही है ....? उसका असल मतलब क्या है ..? किसी को भी बिना समझे उस पर गलत आरोप लगाना सही नहीं होता है ...। क्युकी परिस्थिति के दास सभी होते है ...। कोई व्यक्ति कौन से परिस्थिति में क्या निर्णय लेते है वह सिर्फ वही कह सकते है ...। किसी के भी सही या गलत होने की अंदाजा हम किसी के कुछ गलत बात सुनके नहीं लगा सकते ....।
आज की दुनिया Technology की है ...। कई जन Technology को सही ढंग से इस्तेमाल करते है तो कई जन गलत तरीके से भी इस्तेमाल करते है ...। यह व्यक्ति के सोच पर निर्भर करते है वह अपने कर्म को कौनसा दिशा देंगे ...। Technology के दुनिया में “ सच को झूट ” और “ झूट को सच ” करने में “ दो मिनिट ” ( two minutes ) नहीं लगते .... लेकिन Technology के ऊपर भी एक ओर एक दुनिया है वह है “ भगवान् का इंसाफ ”......!

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