ना तो आँखों में आसू है ना तो होठों पे मुस्कान ना ही तो शब्दों में
कोई विलाप है .........
बस अपने ही प्रश्नों से
ना जाने क्यू .......
उलझा है मेरा मन .... !
दिन की तपती धूप के बाद ,
शाम की शान्त छाया ,
मन में एक अनचाही
ख्वाब तो लाती है लेकिन ,
देखने से डरता है यह मन .... ! - लिलि कर्मकार
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