Friday 31 August 2012

ना तो आँखों में आसू है 

ना तो होठों पे मुस्कान 

ना ही तो शब्दों में 

कोई विलाप है .........

बस अपने ही प्रश्नों से

ना जाने क्यू .......

उलझा है मेरा मन .... !

दिन की तपती धूप के बाद ,

शाम की शान्त छाया ,

मन में एक अनचाही

ख्वाब तो लाती है लेकिन ,

देखने से डरता है यह मन .... ! - लिलि कर्मकार

No comments:

Post a Comment