मैं अंग्रेजी के
खिलाफ नहीं हूँ मगर यदि कोई नहीं जानता है तो यह कोई गुनाह भी नहीं है। अंग्रेजी न
जानने पर कई लोग संकोच अनुभव करते हैं। खुल कर सामने नहीं आते, अपने टैलेंट को दबा कर रखते हैं। लेकिन ऐसी सोच
ही इंसान को पीछे धकेल देती है। अंग्रेजी जानना ही पड़ेगा यह ज़रूरी नहीं है,
यह एक भाषा मात्र है। अपनी संकोच से हमें बाहर
निकलना चाहिए। कई बार यह छोटी सोच के कारण कई लोग हमसे खुल नहीं पाते क्योंकि हमने
यह सोच बना ली है कि जो अंग्रेजी बोलेगा वही मॉडर्न और टैलेंटेड इंसान है, जो कि मैंने अपने फील्ड वर्क पर ऐसा कभी अनुभव
नहीं किया। और कई लोगों को मैंने हमेशा देखा है यदि किसी ने अंग्रेजी गलत तरह से
बोले या उच्चारण करे तो उसका मज़ाक उड़ाते हैं या शर्मिंदा करते है। जो कि एक सभ्य
इंसान का काम कभी नहीं हो सकता। जब कोई भारतीय इंसान हिंदी या अपनी मातृभाषा को
ढंग से नहीं बोल पाता तो उसको हम बहुत सम्मान देते है क्योंकि वह यह सब न जाने
लेकिन अंग्रेजी तो जनता है। यह सब देख कर मुझे लगता है हमें अपनी सोच में बहुत
सुधार की ज़रुरत है। हमें आगे बढ़ना चाहिए लेकिन सिर्फ एक भाषा के आधार पर नहीं अपनी
उच्च सोच और उदारता के आधार पर।।
सही बात है हम हिन्दी भाषियों को स्वयं की सोच बदलनी होगी
ReplyDeleteVery nice 👌
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