असम या देश के किसी भी हिस्से में होने वाले साम्प्रदायिक दंगे को ले कर सोशल
मीडिया पर कोई भड़काऊ बयानबाजी नहीं होनी चाहिए | हमें हमेशा मीडिया के सकारात्मक प्रयोग को सुनिश्चित करना
चाहिए कई बार हमारी असंवेदनशीलता दुसरे जगह की भी बिगड़ सकती है | सांप्रदायिक दंगे को मसाले बना कर राजनीति करना
अत्यंत निंदनीय है |
असम एक बार एक साल पहले भयावह दंगो की आग में जल चुका है | यहाँ कोई नहीं चाहता फिर से उसी आग में आम जनता
जले क्योंकि हम सबको इसकी एहसास है |
सभी से आशा यही है कि सभी सभी स्थिति की गंभीरता एवं मानवता को को समझेंगे और
शांति कायम रखेंगे |
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