यह किस प्रकार की
झूठी संतुष्टि है कि किसी ऐसे गुनाह के लिए देश का एक ' वर्ग विशेष ' मात्र माफ़ी मांगने के दिखावे से संतुष्ट हो जाए ??
जबकि मेरा या देश
के लगभग सभी नागरिकों का मानना है कि यदि गलती है तो माफ़ की जानी चाहिए लेकिन अगर
वह गलती न होकर गुनाह है तो फाँसी की सख्त सजा दी जानी चाहिए , लेकिन किस आधार पर जबकि किसी व्यक्ति को
सुप्रीम कोर्ट दो बार पाक साफ़ बता चुका है |
ऐसे में क्या
माफ़ी की मांग करने वाला परिवार क्या देश की न्याय व्यवस्था से भी ऊँचा है ,
आखिर शर्म क्यों नहीं आती
एक परिवार के गुलामों को |
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