Friday 20 September 2013

सद् भावनाओं की कदर करनी चाहिए ---

कुछ लोग बहुत संवेदनशील होते है । वो नहीं चाहते की अपने जीवन में भावनाओं में बह कर जो गलतियाँ उन्होंने किया , वो कोई दूसरा भी करे | क्योंकि जब हम भावनाओं में बह कर गलती करते है तब दर्द मिलना तो लाज़मी है | इसलिए कुछ लोग ऐसे भी होते है जो कभी नहीं चाहते की जो दुख - दर्द उन्हें मिला है वो किसी और को मिले | इसलिए हम अकसर देखते भी है की लोग अपने द्वारा की हुई गलतियों को दूसरों के सामने बोलते है समझाते है सिर्फ इसलिए की दूसरा भी उस गलती को ना दोहराये और वही दर्द न भुगते |


परन्तु कई लोग ऐसे भी होते है की अगर उनको समझाओ तो उन्हें लगता है की उनकी स्वाधीनता में हस्तक्षेप हो रहा है | लेकिन कभी सामने वाले की भावनाओं को भी परख लेना चाहिए कि वो हमारे लिए कितना संवेदनशील है और उनके मन में कितना अपनापन है । वो कभी यह नहीं चाहता है कि जिस गलती कि सजा उन्हें दुख दर्द झेल कर मिला है वो कभी हमे मिले | हाँ यह भी सच है लोगों को जबतक ठोकर नहीं लगे और जबतब गड्ढे में न गिरे तबतक अकल भी नहीं आती | कितना भी समझाओ पर सामने वाला अपना दुश्मन ही लगता है क्योंकि भावनाओं में अंधे जो बन जाते है हम |

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