जी रही थी वह अकेली अपने जीवन को ...
लेकिन फिर भी वो पल सुकून के थे ... !
लेकिन फिर भी वो पल सुकून के थे ... !
अचानक एक दिन , किसी ने अपना ...
प्यार भरा हाथ उसके सर पर रखा ...
तब वह खुशी से झूम उठी ... !
लेकिन उसे कहाँ पता था ...
किस अंधेरी गली में उसका भविष्य चल पड़ी ... !
प्यार भरा हाथ उसके सर पर रखा ...
तब वह खुशी से झूम उठी ... !
लेकिन उसे कहाँ पता था ...
किस अंधेरी गली में उसका भविष्य चल पड़ी ... !
मानव व्यापारियों ने तो उसे धकेल दिया ...
दुनिया की अंधेरी गलियों में ... !
जज़्बातों के साथ खेला इस दुनिया वालों ने ...
फिर भी गुनेगार वह बनी , वह दुनिया की हर सितम ...
हर जिल्लत अकेले ही सहती रही ... !
दुनिया की अंधेरी गलियों में ... !
जज़्बातों के साथ खेला इस दुनिया वालों ने ...
फिर भी गुनेगार वह बनी , वह दुनिया की हर सितम ...
हर जिल्लत अकेले ही सहती रही ... !
वह सिर्फ येही सोचती रहती है ...
क्या उसके जीवन में ऐसी कोई बाढ़ आएगी ...
जिस बाढ़ में नदी की हर गंदगी साफ़ हो जाती है ...
उसके जीवन की गंदगी भी साफ़ हो जाएगी ... ! – लिली कर्मकार
क्या उसके जीवन में ऐसी कोई बाढ़ आएगी ...
जिस बाढ़ में नदी की हर गंदगी साफ़ हो जाती है ...
उसके जीवन की गंदगी भी साफ़ हो जाएगी ... ! – लिली कर्मकार
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