झूठ से तपती हुयी इस ‘ जहां ’ में ,जहा भी पैर रखोगे जलना तो लाज़मी है ….. !
बहुत से दिलवाले
चेहरे के पीछे ,
एक बेदर्द दिल
छुपा हुया है …… !
चेहरे के पीछे
जो चेहरा है …….
उसे पढ़ना मुश्किल है … !
कहने को तो
सभी अपने है …. !
लेकिन दिखावे
की रिश्ते से …..
यह दिल भी डरता है …..! - लिलि कर्मकार
No comments:
Post a Comment